रामू कुम्हार के घर की दीवाली बस पेट भर अच्छा भोजन
हर साल की तरह इस साल भी दीवाली आने को है, बाहर बहुत घना अंधेरा सा छाया हुआ है हर तरफ़ दीवाली के आने की ख़ुसी मे ज्श्न मनाए जा रहे है, सभी दीवाली को मानने मे ज़ोर सोर से लगे हुए है ओर इधर एक पाँच-छ: साल की सीमा अपने घर मे जल रहे चूल्हे की रोसनी मे अपने पिता रामू के बनाए हुए उन दियो को देख रही है, थोड़ी देर मे उसका पिता रामू थका हारा , अपने हुके को लेकर उसके सामने आँगन मे पड़ी चारपाई पर बहुत चिंता मगन बैठ जाता है, ओर हुका गुड गुडाने लगता है,
रामू को देख कर वो छोटी सी सीमा बोलती है "पिता जी इस बार हर बार की तरहा ह्मारे 100-150 दिये, ही बिके है, तभी रामू बोला - हाँ बेटा अब लोग मिट्टी से बने दिए कम खरीदते है अब वो बिजली के बल्ब जलाने लगे है, अब लोग रीति रिवाज के क़ानून को भूल कर नये दोर से दीवाली मानने लगे है, वो तो सिर्फ़ हम ग़रीबो के लिए रह गया है, रामू बोलता रहा,
सीमा - पिता जी अगर कल कुछ दिये ओर बिक गये तो इस दीवाली पे हम भी अपने घर मे दिए जलाएँगे ओर पेट भर खाना कहएँगे, हा ना पिता जी.
रामू - नही बेटा कल सिर्फ़ खाना बनाएँगे ओर खाएँगे
सीमा - टिक है पिता जी कल कल खाना पेट भर खाएँगे ओर दिए जलाएँगे
रामू ने गुस्से मे - कहा ना दिए नही जलाएँगे, बस पेट भर खाना खाएँगे
ये सुन कर सीमा का मूह लटक गया, अब उसका लटका हुआ मूह देख कर रामू को उस पर प्यार आ गया लेकिन रामू ही क्या करे ग़रीबी से लाचार, बड़ी बेबसी से बोला - बेटा हम बहुत ग़रीब लोग है ह्मे पेट भर खाना ही मिल जाए वही बहुत है, हम तो बस त्योर मानने का परपंच कर सकते है,
सीमा बोली पिता जी ह्मारे बनाए हुए दिए सब जलांगे पर हम ही नही जला सकते , क्यो?
सीमा बेटा हम लोग ग़रीब है जब कोई हम से कुछ खरीदता है तो ह्म सोचते है की साम के खाने का इनजाम हो गया है ओर जिस दिन कोई कुछ भी नही खरीदता तो उस दिन मर जाने का मान करता है लेकिन फिर मुझे तुम्हारा ख़याल आता है बेटा ओर म सब भूल के वापिस घर आ जाता हू
हम लोग तो दियो को एसलिए बनाते है के हमारी परम्परा हमेसा चलती रहे लेकिन क्या करे लोग अब इन मिट्टी के दियो को ही नही जलना चाहते, तो बताओ हम कसे ख़ुसी मनाए बेटा, हम कसे दिए जला ले बेटा हुमारे घर मे सिर्फ़ खाना बनाने के लिए ही तेल होता है
सीमा पिता की बात समझते हुए बोली - पिता जी हम ग़रीब है लेकिन फिर भी दिये बनाते है के हमारी परम्परा चलती रहे, तो उसी के लिए, म थोड़ा कम खाना खा लूँगी लेकिन इस बार हम दिए जलांगे , रामू की आँखो मे आंशु आ गये ओर वो बोला हाँ बेटा हम खाना कम खा लेंगे लेंकिन दीवाली पे दिए ज़रूर जलांगे.
दोस्तो ये एक छोटी सी कहानी है लेकिन जब एक छोटी सी लड़की परंपरा की बात समझ सकती है तो हम क्यो नही, एस दीवाली पर आप सब से अनुरोध है के प्लीज़ बिजली के बल्ब का कम ईस्तमाल करके दियो को जलाकर ही दीवाली मनाए . इस से तीन फ़ायदे है एक तो आप बिजली की बचत कर पाएँगे ओर दूसरा बरसो से चली आ रही परम्परा को कायम रख पाओगे ओर तीसरा जो ग़रीब है वो भी इस बार आपकी वजाहा से दीवाली पर ख़ुसी माना पाएँगे.
Plz - Don't more use Electric Bulb on This Diwali Give a Big Hand For Make a Light with Mitti Ke Diye
"Must Be Share of this Story For All Friends Awareness and These all Poor Men"
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